

चेटीचंड’ मनेंद्रगढ़ में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया. इस मौके पर शनिवार को मनेंद्रगढ़ के झूलेलाल मंदिर से विशाल शोभायात्रा निकाली गई. यह शोभायात्रा शहर के मुख्य चौराहों से होते हुए रेलवे सरोवर मार्ग पर तालाब पर संपन्न हुई .

राकेश मेघानी की कलम से
मनेंद्रगढ़ – सिंधी समुदाय का त्योहार ‘चेटीचंड’ मनेंद्रगढ़ में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया .शहर के मार्गो पर शोभायात्रा का जोरदार स्वागत किया गया. गुरद्वारे के सामने शोभायात्रा के पहुंचते ही वहां ओसवाल समाज के द्वारा स्वागत किया गया ,विवेकानंद चौक पर सर्व धर्म सम्मान की भावना का उदाहरण देते हुए भाजपा मंडल मनेंद्रगढ़ के द्वारा सभी पर फूल बरसाकर उनका स्वागत किया.और सिंध समाज के आराध्य झूलेलाल की मूर्ति पर फुल माला चढ़ा कर अर्चना की ,

गौरतलब है कि शनिवार को सिंधी समाज के इष्टदेव झूलेलाल की जयंती पर झांकि निकाली गई थी और शोभा यात्रा के दौरान विभिन्न स्थानों पर भक्ति गीतों पर सिंधी समाज के युवा और महिलाए झूमते गाते नजर आए इस शोभायात्रा को देखने के लिए चौक चौराहों पर अच्छी भीड़ रही , शोभायात्रा में राष्ट्र के साथ ही समाज में धार्मिक संदेश भी दिया गया .


चेटीचंड सिंधी समुदाय का प्रमुख त्योहार है, जिसे भगवान झूलेलाल के जन्मोत्सव के रुप में मनाया जाता है. इस त्योहार से जुड़ी मान्यता है कि सिंधी समुदाय शुरू से व्यापारिक वर्ग रहा है पहले के समय में जब ये व्यापार के लिए जलमार्ग से गुजरते थे तो इन्हे कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था. जैसे समुद्री तूफान, जीव-जंतु, चट्टानें व समुद्री दस्यु गिरोह जो लूटपाट मचा कर व्यापारियों का सारा माल लूट लेते थे. इसलिए इनके यात्रा के लिए जाते समय ही अपने पति और मुखिया के लिए महिलाएं वरुण देवता की पूजा स्तुति करती थीं और उनसे तरह-तरह की मन्नते मांगती थीं. चूंकि भगवान झूलेलाल जल के देवता हैं, अत: यह सिंधीयो के आराध्य देव माने जाते हैं. जब पुरुष वर्ग सकुशल घर लौट आता था तब चेटीचंड का उत्सव भव्य तरीके से मनाया जाता था.
